Rahul Gandhi Big Bet Regarding OBC From Karnataka Kolar For Lok Sabha Election 2024 Raises Caste Based Census Issue | Caste Census Issue: जिस कोलार में दिए गए भाषण से हुई मानहानि केस में सजा, वहीं से राहुल गांधी ने OBC को लेकर खेला बड़ा दांव Apextalk


Congress On OBC And Caste Based Census Issue: कर्नाटक में 10 मई को विधानसभा चुनाव है लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 के लिए राज्य के कोलार से राहुल गांधी ने ओबीसी को लेकर बड़ा दांव खेला है, जिसके अपमान का आरोप उन पर लगा है. वहीं, कोलार वही जगह है जहां 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले दिए भाषण की वजह से राहुल गांधी पर मानहानि का केस चला, सूरत की अदालत ने उन्हें सजा सुनाई और जिसके चलते उनकी संसद सदस्यता चली गई. 

रविवार (16 अप्रैल) से शुरू हुए अपने दो दिवसीय कर्नाटक दौरे के दौरान कांग्रेस की ‘जय भारत’ चुनावी रैली से राहुल गांधी ने अब तक केंद्र, बीजेपी और राज्य की सत्तारूढ़ बसवराज बोम्मई सरकार के खिलाफ एक से बढ़कर तीर छोड़े हैं. उन्होंने जातिगत आधारित जनगणना को मुद्दा बनाया है. 

‘ऐसा नहीं करते हैं तो यह ओबीसी का अपमान है’

राहुल गांधी ने पहले रविवार और फिर सोमवार (17 अप्रैल) को ओबीसी समुदाय की बात करते हुए केंद्र पर निशाना साधा. रविवार को राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2011 की जाति आधारित जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक करने की चुनौती दी और आरक्षण पर से 50 फीसदी की सीमा हटाने की मांग की. उन्होंने दावा किया कि केंद्र सरकार में केवल सात प्रतिशत सचिव अन्य पिछड़ी जाति (ओबीसी), अनुसूचित जाति और आदिवासी समुदाय के हैं.

राहुल ने कहा, ”यूपीए सरकार ने 2011 में जाति आधारित जनगणना की थी. इसमें सभी जातियों के आंकड़े हैं. प्रधानमंत्री जी, आप ओबीसी की बात करते हैं. उस डेटा को सार्वजनिक करें. देश को बताएं कि देश में कितने ओबीसी, अनुसूचित जाति और आदिवासी हैं.” राहुल ने कहा कि अगर सभी को देश के विकास का हिस्सा बनना है तो प्रत्येक समुदाय की आबादी का पता लगाना जरूरी है. इसकी के साथ उन्होंने कहा, ”अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो यह ओबीसी का अपमान है.”  

दूसरे दिन राहुल ने ओबीसी को लेकर फिर साधा केंद्र पर निशाना

सोमवार (17 अप्रैल) को कोलार से ही राहुल गांधी ने अपने भाषण के दौरान कहा, ”हिंदुस्तान का सेंसस (जनगणना) हुआ था. उस सेंसस में हमने ओबीसी का कैटेगराइजेशन किया था. आज तक वो सेंसस रिपोर्ट पब्लिक नहीं की गई. अगर हमें सबको भागीदार बनाना है तो यह तो पता होना चाहिए कि कितनी आबादी किसकी है. ओबीसी, अनुसूचित जाति, आदिवासियों की कितनी आबादी है, ये पहला कदम है. अगर हमें इन जातियों के लोगों की संख्या के बारे में ही पता नहीं है तो सबको भागीदार कैसे बनाएंगे. अगर हम ओबीसी को आगे बढ़ाना, उनका हक उन्हें देना चाहते हैं तो पहला कदम है कि ओबीसी सेंसस में जो डेटा है, उसको प्रधानमंत्री रिलीज कर दें, पब्लिक कर दें.”

‘मैं गारंटी देता हूं कि…’

इसी के साथ राहुल ने कहा, ”मैं आपको मैं आपको गारंटी दे देता हूं कि हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री ये नहीं करेंगे क्योंकि वो सचमुच में ओबीसी का भला नहीं चाहते हैं. कांग्रेस पार्टी ये काम एकदम करती है, जैसे ही हमें मौका मिलेगा, हम ओबीसी सेंसस को पब्लिक कर देंगे.”

राहुल ने कहा, उससे पहले हम पूरे देश में बीजेपी पर दबाव बनाएंगे, आप ओबीसी की बात करते हो, ओबीसी की भागीदारी की बात करते हो, ओबीसी को पावर देने की बात करते हो, भारत की प्रगति में शामिल करने की बात करते हो तो ये जो ओबीसी सेंसस, इसको पहले पब्लिक कर दो. हम सबको पता लग जाए कि हिंदुस्तान में ओबीसी, अनुसूचित जाति के, आदिवासी और बाकी लोग कितने है.”

राहुल का ट्वीट

इसी के साथ राहुल ने ट्वीट किया, ”प्रधानमंत्री जी, वंचितों को खोखले शब्द नहीं, राजनीतिक और आर्थिक शक्ति की जरूरत है.

ये तीन कदम उठाइए: 

  • 2011 की जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक कर, देश में OBC कितने हैं बताइए
  • आरक्षण से 50% कैप हटाइए
  • अनुसूचित जातियों, आदिवासियों को आबादी के अनुसार आरक्षण दीजिए

कांग्रेस का चौतरफा वार, मल्लिकार्जुन खरगे ने लिखी पीएम को चिट्ठी

ओबीसी के मुद्दे पर कांग्रेस केंद्र पर चौतरफा वार कर रही है. एक तरफ राहुल गांधी ने कर्नाटक से केंद्र को घेरा तो वहीं, रविवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने जातिगत आधारित जनगणना के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख दिया. खरगे ने सोमवार को यह पत्र अपने आधिकारिक हैंडल से ट्वीट भी किया.

खरगे ने कहा, ”2021 में नियमित दस वर्षीय जनगणना की जानी थी लेकिन यह नहीं हो पाई है. हम मांग करते हैं कि इसे तत्काल किया जाए और व्यापक जाति जनगणना को इसका अभिन्न अंग बनाया जाए. मुझे आशंका है कि जातिगत जनगणना के अभाव में सामाजिक न्याय के कार्यक्रमों के लिए डेटा अधूरा है.”

पत्र में लिखा गया, ”आप जानते हैं कि यूपीए सरकार ने पहली बार 2011-12 के दौरान करीब 25 करोड़ परिवारों को कवर करते हुए सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना (एआईसीसी) कराई थी. मई 2014 में आपकी सरकार आने के बाद कांग्रेस औप अन्य सांसदों ने इसे जारी करने की मांग की लेकिन कई कारणों से जातिगत आंकड़े प्रकाशित नहीं किए गए.” पत्र में लिखा गया कि यह जनगणना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है.

बहरहाल, मोदी सरनेम वाले केस में राहुल गांधी के घिरने के बाद, ओबीसी समुदाय और जातिगत आधारित जनगणना के मुद्दे पर आवाज बुलंद करने पर कांग्रेस को इसका कितना राजनीतिक लाभ मिलेगा, यह आने वाले समय में पता चलेगा. 

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