Buying New Home Is Better Or Living On Rent Is Good For Long Term Financial Health Know Here Apextalk


हर किसी के जीवन में अपना घर एक अहम मील का पत्थर है. बार-बार घर बदलने की किचकिच से लेकर तमाम परेशानियों से यह मुक्ति दिलाता है और स्थाई मानसिक शांति का बंदोबस्त करता है. अपना घर दरअसल मानसिक और मनोवैज्ञानिक सुरक्षा का भाव प्रदान करता है. हालांकि ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जो यह वकालत करते हैं कि वित्तीय लिहाज से घर खरीदने से बेहतर किराये के घर में रहना होता है. ऐसे लोग तर्क देते हैं कि ईएमआई के बजाय किराया सस्ता पड़ता है और इसमें बची रकम को सही से इन्वेस्ट कर मोटा फंड जमा किया जा सकता है… इस तरह से लंबी अवधि के हिसाब से किराये के घर में रहना वित्तीय तौर पर फायदेमंद साबित होता है.

दोनों के अपने फायदे-नुकसान

अपना घर खरीदें या किराये के घर में रहें… दोनों में से क्या ज्यादा फायदेमंद है… ये सब लंबी बहस के विषय हैं. दोनों विकल्पों के पैरोकार खूब फायदे गिनाते हैं. सिंपल बात है कि हर कदम के अपने फायदे होते हैं, लेकिन इनके अपने नुकसान भी होते हैं. अपना घर लेने का फायदा भी है, तो इसके नुकसान भी हैं. वैसे ही किराये के घर के बारे में भी है… इसके अपने फायदे और नुकसान दोनों हैं. आज हम इसी पर बात करने वाले हैं, जहां आप जानेंगे कि दोनों विकल्पों के क्या-क्या फायदे हैं और इनके क्या-क्या नुकसान हैं…

महंगा है अभी होम लोन

सबसे पहले घर खरीदने की बात. ऐसे लोगों की संख्या मामूली है, जिनके पास नया घर खरीदने का पूरा पैसा होता है. ज्यादातर लोग कर्ज लेकर ही अपना घर खरीदते हैं. होम लोन का सीधा कनेक्शन रेपो रेट से है. रेपो रेट बढ़ने से कर्ज की लागत बढ़ती है. मई 2022 से रिजर्व बैंक रेपो रेट में ढाई फीसदी वृद्धि कर चुका है, जिसके चलते होम लोन की दरें जो करीब 6.5 फीसदी पर थीं अब 9 फीसदी से ऊपर हैं. हालांकि, RBI ने अप्रैल 2023 की मॉनिटिरी पॉलिसी में रेपो रेट 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा है, जिसके चलते कयास लग रहे हैं कि अब ब्याज दरों में शायद और वृद्धि न हो.

घर खरीदने की असल लागत

सबसे बड़े बैंक SBI की होम लोन दरें अभी 9.15 फीसदी से शुरू हो रही हैं. आप जो घर खरीदना चाह रहे हैं, उसकी कीमत 50 लाख रुपये मान लेते हैं. किसी भी शहर में ठीक-ठाक लोकेशन पर 3बीएचके अपार्टमेंट की कीमत इसी के आस-पास रहती है. अब मान लेते हैं कि आप 20 फीसदी डाउनपेमेंट जेब से करने वाले हैं और 80 फीसदी यानी 40 लाख रुपये का होम लोन लेने वाले हैं. 9.15 फीसदी की दर पर 40 लाख रुपये का लोन 20 साल के लिए लेने पर उसकी मंथली EMI 36,376 रुपये बनेगी. इस हिसाब से आपको 20 साल में बैंक को 87 लाख 30 हजार 197 रुपये चुकाने होंगे, जिसमें 40 लाख रुपये मूलधन और बाकी 47 लाख रुपये ब्याज है. यानी ये घर 20 साल बाद आपको करीब एक करोड़ रुपये का पड़ेगा. रियल एस्टेट सेक्टर की सालाना ग्रोथ रेट 5-6 फीसदी है. इस लिहाज से जो घर आज 50 लाख रुपये का है, वो 20 साल बाद 1.3 से 1.6 करोड़ रुपये का होगा.

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किराये पर रहने का गणित

अब किराये की स्थिति की बात करते हैं. 50 लाख के वैसे ही घर में रहने के लिए आपको 20,000 रुपये महीने के आस-पास किराया देना पड़ेगा. ऐसे में किराए पर रहते हैं तो हर महीने 16,376 रुपये बचते हैं. इन पैसों को SIP के जरिए म्यूचुअल फंड में लगाने पर 12 फीसदी अनुमानित रिटर्न के हिसाब से 20 साल बाद 1 करोड़ 58 लाख रुपये मिलेंगे. डाउनपेमेंट की 10 लाख रुपये की रकम को अलग से एकमुश्त निवेश करने पर कुल 96 लाख 46 हजार 293 रुपये मिलेंगे. यानी इस सूरत में 20 साल बाद आपके पास ढाई करोड़ रुपये से ज्यादा होंगे. इस लिहाज से किराये पर रहना बेहतर विकल्प साबित होता है.

रेंट पर रहने के फायदे

रेंट पर रहना EMI के मुकाबले सस्ता है. डाउन पेमेंट का कोई झंझट नहीं है. नौकरी बदलने या लोकेशन पसंद नहीं आने पर आसानी से घर बदल सकते हैं. 

घर खरीदने के फायदे

EMI भरकर आप एक एसेट यानी संपत्ति बना रहे हैं. होम लोन के प्रिंसिपल रिपेमेंट पर 80C के तहत डेढ़ लाख रुपये और सेक्शन 24 के तहत ब्याज पर 2 लाख रुपये तक का डिडक्शन मिलता है. शिफ्टिंग और मकान मालिक का झंझट नहीं होता है.

रेंट पर रहने के नुकसान

किराए में जो पैसा भर रहे हैं उस पर कोई रिटर्न नहीं है. हर साल किराया 8 से 10 फीसदी बढ़ता है. बिना मकान मालिक के मर्जी के आप घर में कोई काम नहीं करा सकते हैं.

घर खरीदने के नुकसान

डाउनपेमेंट, स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज जैसे खर्च और EMI का बोझ उठाना पड़ता है. पैसों की जरूरत पड़ने पर घर तुरंत बिक नहीं सकता है.

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